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मानसिक शक्ति।
 


अपनी वसौती, स्थिति, वंशावली, बाह्यक्षेत्र और कुछ बाह्य शक्ति का जिस पर वह अपने जीवन, चरित्र, सौभाग्य और दुर्भाग्य का भार सौंपते हैं, विचार सैकड़ों वर्षों से करता चला आता है। अपने जीवन में पूर्णता प्राप्त करने के लिए मनुष्य कभी इस वस्तु को दोष देते हैं और कभी उसको और सदा अपने बाहर उसके कारणों को ढूँढ़ा करता है, किंतु बात यही है कि अपने भाग्य के बनाने वाले स्वयं आप हैं। प्रत्येक समय मनुष्य अपने आप को बनाते रहते हैं। मूर्ख अविश्वासी व्यक्ति भी अपने ही विचारों का उत्पादन है।

मनुष्य केवल अपने ही नीच, घृणित और बुरे विचारों के कारण नीच, घृणित और बुरा बन जाता है कमज़ोर और अस्थिर विचारों के कारण मनुष्य निर्बल और चल-प्रवृति बन जाता है। यदि तुम किसी दिन कहीं पर भी मनुष्यों के हृदयस्थ विचारों का पता लगाना चाहते हो तो उनके चेहरे को देखकर फौरन पता लगा सकते हो कि यह मनुष्य अच्छे विचार वाला है या बुरे।

उदास चेहरे को देखो जिसके पीछे दिमाग़ है जिसमें एक के पीछे एक मूर्खता के विचार उठते हैं और ग्रीष्म ऋतु के बादलों की भाँति भागते हुए चले जाते हैं। कोई भी विचार क्षण भर के लिए भी नहीं ठहरता एक ओर से आता है और दूसरी ओर चला जाता है।

यदि तुम किसी उदास और हततेज चेहरे की ओर देखो जो कि भोग विलासों और बुरी आदतों के कारण बिगड़

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