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मानसिक शक्ति।
 


है कि बहुत से मनुष्य भयानक विचार के साथ जीवन व्यतीत करते रहें कि जिससे उनके शरीर निर्बल और कमज़ोर देखे जाते हैं। वर्षा का डर कि कहीं हम भींग न जाँए और जुकाम हो जाए। हवा का भी डर कि यदि यह पूर्व से चली तो ठन्डी होगी, यदि यह उत्तर से बही तो दुःखदाई होगी, यदि दक्षिण से चली तो शक्ति प्रवल कर देगी और यदि यह पश्चिम से बही तो निश्चय से पानी लाएगी। यदि सूर्यदेव का प्रकाश हुआ तो परदे और चिकें पड़ने लगी कि कहीं धूप न आ जाए। वे इस विविधा में पड़े रहते हैं कि यह चीज़ खाएँ या वह जिससे शरीर को बाधा न पहुंचे। उन्हें व्यायाम तथा आराम करने का भी भय लगा हुआ था कि ऐसा न हो कि कहीं इनकी कमी या ज्यादती से हानि पहुंच जाए। इसी प्रकार के कमजोर और लाचार विचारों के कारण जो कि उनके दिमाग़ में दिन प्रति दिन और साल दर साल उठते रहे, उनके शरीर कमजोर और क्षीण हो गए और वेकुरूप भी हो गये जिससे मनुष्य डरता है वही आगे आता है। शोक है उन मनुष्यों के जीवन पर जो उसको भय के साथ प्रतीत करते हैं।

यदि मनुष्य अच्छे और शुभ विचार करें तो उनकी दशा बहुत ही शीघ्र बदल सकती है। यही नियम सबके साथ लागू हो सकता है। स्त्री पुरुष निरन्तर निर्धनता का विचार किया करते हैं, उसी के बाबत बातचीत किया करते हैं और वैसे ही कार्य करते हैं इसी लिए निर्धनता उनको आ दबाती है। उनके घर में अपना विश्राम कर लेती है। कुछ मनुष्य बुरे स्वास्थ्य

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