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पृष्ठ:मानसिक शक्ति.djvu/३३

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पारस पथरी।
 

अब यह बात हमें अच्छी तरह समझ लेने दो कि जो कुछ है और जिस अवस्था में है वह सब अपने विचारों के कारण है। ऐसे ही विचार करते करते हम पारस पथरी को भी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रत्येक नवीन शब्द या वस्तु का मूल उत्पादक विचार है। प्रत्येक वस्तु जो तुम अपने पास देखते हो वह विचार का ही फल है। कारीगर के विचार का फल घर है। पहले उसके दिमाग में घर का चित्र बना होगा। बन के रक्षक के मन में भी पहिले जंगल के बाबत विचार उठा होगा। इसी प्रकार माली के दिल में भी पहले बाग़ के बाबत विचार उठा होगा कि बगीचे में सुन्दर फल फूल उत्तम सड़कें और अच्छे चश्मे होने चाहिए। यदि हम उन चीज़ों के विषय में विचार करें जो कि हमारे प्रयोग में आती हैं जैसे कपड़ा जो हम पहिनते हैं और मेज कुर्सी जो हमारे काम में आती हैं क्या यह सब किसी दरजी या बढ़ई के मन ने नहीं गढ़ी हैं। हमें यही मालूम देता है कि उनके बाबत भी पहले नवीन विचार उठा होगा, तब कहीं वह वस्तु बनी होगी। पहले मन रूपी नेत्र के सामने प्रत्येक वस्तु का ठीक ठीक ढांचा खिंच जाता है बाद को वह वैसी ही देखने में आती है। यह सब तो तुम मानने के लिए तैयार हो परंतु यह तो बताओ कि जीवन की बुरी दशा, भय, दुःख, निर्धनता तथा जर्जरित शरीरों का क्या कारण है। ये भी सब विचारानुसार हैं। ये सब हमारे लगातार विचारों का फल है हमें यह बात भली भांति ज्ञात

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