कर दो तो धीरे धीरे निश्चय से तुम्हारा जीवन सुन्दर, सुखद और स्वर्णमय बन जाएगा।
अपने दुःख और क्लेशों से, अपनी मूर्खता से, अपनी बाधाओं से जल्दी बन्धन मुक्त होने की आशा मत करो। जब कि हमने दस, बीस, पचास वर्ष ऐसे जीवन को बनाने में व्यतीत किये जोकि सुन्दर, शांत और सुफल नहीं है। अब यह कैसे आशा हो सकती है कि झटपट परिवर्तन हो जाए। बहुत से बुरे विचारों को मस्तक से निकालना होगा, बहुत कुछ बिगाड़ना होगा तब कहीं जीवन सुधरेगा।
सम्भव है कि कई वर्षों तक तो तुम्हें कुछ भी उन्नति नहीं मालूम हो; किन्तु तुम्हें यह अवश्य ज्ञात होता रहेगा कि कार्य हो रहा है और तुम यह मालुम करोगे कि देर या सबेर हर प्रकार की बाधा और आपत्ति का पहाड़ आप से आप ही दूर हो जाएगा और तुम्हारी अन्तरंग शक्ति के सामने कुछ भी नहीं ठहर सकेगा। जिस अच्छी बात का तुम विचार कर रहे हो और जिसकी प्राप्ति का तुम उपाय कर रहे हो वह तुम्हें अवश्य मिलेगी। इस छोटे से जीवन के लिए अपने विचारों को संकीर्ण मत बनाओ। जो कुछ तुम अभी सोचकर संसार में विचार उत्पन्न कर रहे हो वह आगामी में कितनेही मनुष्यों को काम देगा। आज बोओगे तो कल अवश्य अनाज उत्पन्न होगा।
ईमरसन साहब ने क्या अच्छा कहा है "मैं संसार का अधिपति हूँ सातों तारे और वर्ष मेरे हाथ में है। कैसर की शक्ति, अफलातून को समझ, ईसा का दयामयी हृदय और सेक्सपियर के हृदय की तरंग मेरे में मौजूद है।"
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