पृष्ठ:मानसिक शक्ति.djvu/३७

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७.––अपनी सब प्राप्ति के साथ।

जब उस मनुष्य को जोकि सुख और शान्ति की गुप्त शक्तियों को खोजने वाला है यह सीधी परंतु महत्व की बात कि विचार में कितनी शक्ति है, पहले पहल बतलाई जाती है तो एक प्रकार का डर है। यह ऐसी बात है कि हर एक को समझ लेना चाहिए कि कहीं ऐसा न हो कि लाभ के स्थान में हानि उठावे, क्योंकि मनुष्य यदि शक्ति का ठीक ठीक प्रयोग करना नहीं जानता अथवा जानकर भी कुछ नहीं करता, तो फिर वही शक्ति उसके नाश का कारण हो जाती है। उसका चित्त इस शक्ति को स्वार्थ साधन में लगाने की प्रेरणा करता है और ऐसा करने से उसकी अन्त में क्षति होती है।

यह बात निरर्थक नहीं है कि प्रत्येक मनुष्य में जो शक्तियां जन्म से ही मौजूद हैं उनसे बहुत से मनुष्य अनभिज्ञ रक्खे गए हैं। संसार के धुरन्धर गुरुओं ने मनुष्यों की समझ के अनुसार उनको इस शक्ति का उपदेश दिया है। जो अच्छे

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