और धन्यवाद के गीत गाओगे उतनी ही जल्दी तुम उसे दिन प्रति दिन के अनुभव में मालूम करोगे। जो कुछ मैं लिख रहा हूँ उसकी सत्यता का मुझे ज्ञान है कारण कि मैं ने उसको अपने जीवन में कई बार अनुभव किया है। बहुत इच्छित वरदान जिनको कि हम जानते थे कि उनका मिल जाना अच्छी बात है वे स्वतः प्राप्त हो गए। मैंने बार बार उनका चिन्तवन किया, उनके लिए बहुत प्रयास किया, तथा योग्यता के लिए यत्न किया तो फिर एक दिन जब मैं प्रातःकाल सोकर उठा तो मैंने उनको अपनी बगल में पाया। कभी कभी उन तक पहुँचने के लिए मार्ग बड़ा कंटकाकीर्ण जान पड़ता था और कभी कभी तो यह भूल भी गए कि मेरी आत्मा का इच्छित पदार्थ क्या है। परंतु प्रकृति के नियम में कभी भूल नहीं होती। नियमित समय पर सब पदार्थ अपना अपना फल देते हैं।
इच्छा भी अपने समय पर सफलीभूत होगी हमारा काम साच विचार कर करने का है उसका फल कब मिलेगा इसकी चिन्ता नहीं करनी चाहिये।
फलासा की चिन्ता में पड़ने से कार्यविधि में विघ्न होगा जिससे सम्भव है कि तुम्हारी पूर्ण इच्छा पूर्ण न हो कर्म विपाक के अनुसार कर्मों का जो फल है वह अवश्य होगा फलाशा से न्यूनाधिकता नहीं हो सकती। हमारा कर्तव्य केवल इतना है कि हम अपने मन को जाँचे अपनी इच्छा को हर एक पहलू से टटोलें और भली भांति निश्चय कर लेवें कि हमारी इच्छा क्या है और वह ऐसी है कि नहीं कि
३९