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मानसिक शक्ति।
 


हर विषय की विचार तरंगों का पात्र रहा है और कैसे सब प्रकार के संकल्प विकल्पों का द्वार रहा है। इस बात को देखकर हमें बड़ा विस्मय होता है और साथ ही साथ लज्जा भी आती है कि हम ने कितना अमूल्य समय व्यर्थ चंचल विचारों में नष्ट कर दिया है। वह समय जिसको यदि हम उचित रीति से उपयोग में लाते और उसको किसी अभीष्ट के सिद्ध करने में लगाते तो निस्संदेह हम शक्तिशाली और दृढ़ चारित्रवान बन जाते। ऐसा समय यदि हम शुभ विचारों और शुभ भावनाओं में लगाते तो हमारा जीवन सुधर जाता, हमारी अंतरात्मा पवित्र हो जाती, हम प्रभावशाली बन जाते और हम में आत्मिक शक्ति का महत्व आ जाता।

हमारे विचार में किसी मनुष्य के जीवन का वह बड़ा दिन है जिस दिन कि उपरोक्त बात की सत्यता उसके हृदय में बैठे।

पहिले पहिल मन वश में नहीं होना चाहता। यह घोड़े के नए बछड़े के समान है जो लगाम लगाते समय बड़ी उछल कूद मचाता है और भागने की कोशिश करता है। यदि हम विचार को अपने मार्ग की ओर चलाना चाहते हैं तो हमारा मुख्य कर्त्तव्य यह है कि हम धैर्य धारण करें और अपने चंचल और अस्थिर विचारों को निरन्तर अपनी ओर खींचते रहें। बार बार हमें कुछ निराशा तथा अधीरता तो अवश्य होगी और हमारा चित्त चाहेगा कि निराश होकर छोड़ दें, परन्तु ऐसा करना सर्वदा अपने को हानि पहुंचाना है।

सबसे पहली बात जो मनमें बैठानी चाहिए, धैर्य है। उतावली करने से न कभी किसी को कुछ मिला है और न