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मिश्रबंधु-विनोंद

मिश्नबंधु-विन ६ | { २० } भुल्ला ऊद अमीर खुसरो का समाकलन का है। इम वेतन्काल संवत् ११८५ के लगभग धा । इसने दुक और चंदः ॐ त्रैमझ्या हिंदी-गद्य में श्छ । यह ग्रंथ हमर देखन्दे हैं। नाम१ } जिनपद्म सूरि ।। ग्रंथ-शृःलभद्र फागु । श्याकाल---चैद शताब्दी का अंत । दिग्दुर मच्छ के अप श्राचार्य थे । । उदर- . एमब-स जिद् एव अनु सर सइ समव ।' . धूत भई मुश्विद्द भरसु झाबु बंध गुण केदि । .... अहू से हमें सुदर रूत्रदंतु गुण अखे भंडारो : .. कंक्ल जिभ झलत केसि संजस सिरि कुरो ! भुल भद्र सुरू राङ जाम महेयर्थः बो इंतज । नयर वय झाडलिय माँहि पहूतउ बिहरंतउ है, { २१ } महात्मा श्रीगोरखनाथजी । ये महशत्र पृ% अझ और ऋड़े सिद्ध करामात हो गए हैं। • इबुझा समय संक्ड ३४२७ लाद्ध में लिखा है। किंवदंतिय हुन यह भी सुना जाता है कि ये अल्हा के समय में हुए ग्रह अल- हैं। मैं { अद्रनाथ }छंदर के शिष्य थे। ये महारज सिंह है। गए थे, परंतु मुईदरजी संसार जाल में फंसे पड़े रहे । उनले इन्होंने फिर उससे छुड़ान्यः । इनकी रचनो में देख के अमात्य क्लीं से कुछ बुंदेय अ गए हैं। इनके ११..अंथ हो रदेश, भूदल अंद, छोरनाथ एक, गो हथी के स्कुट अंश, ज्ञानसंद्धांतोय, ज्ञानचक्र प्रवेश