पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/२४७

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अश्क '. ३१ हा, अब्ध, विद फुरद, गोरक्रसस्ट और हेलम्हा क्री बाढी ! इस अंडे के अर्धर रस्तुन्दाथों में गश्तक होन- तक }, क्युर शासन, सूद, अदिंदाम, यमदम, शोमहर्लङ, योसिद्धांजलि, दिवेकमार्तड़ और सिद्धांउपद्धति- मक छ छ सस्पृह में बना ? ३ महश्र है | क्रेट डेस्छ : पत्र में इन मंदिर व हैं । ३ वटा ¥ भन यूजे जाते अन्न उत्तर भारत में पाए जाते हैं । इस ग्रे ॐ अति- विरह. रस्वकार के ऊपर छोटे-लेटे चन्द्ध थे . ॐ हम छाउन १३२ के ४४४ % र द्धि हैं। गौरखी ऋष क्लिप हर एक बड़-ग्रंथ भी रौद में मिला हैं । अतः सभमे प्रश्न 28छ। ग्याङ गोरक्षनाथ ही हैं। इनकी कविता साह ॐ ॐ इरह-- | स्वामीं तुम्हें सुर शेसाई । अम्हें यासिर सब क अरू ! इथ:कर कहवा मन कर इ समें भी हल्ला कै रहे । नीरारंभ हा ऋण दिधि हैं । ह गुरु होय स चुड्या कहै ।। । अझ लिया हटे का रूप ब्रिष की छु । .: शुद्धिः काल के हो हेङ संसार में मया । । आयु से सुमारे अनंत, बिर ; डिद निद्रा अजुड़े अहोर । । सो वह सुरु, संशू के इलाज करि चु, अरु संपूर्ण पृथ्वी ग्राहने ॐ ६ कुर्की, इक सहस्र अझ झन , अरु देवतः इथे पुजि चुकी, अरू पिलर के संतुष्ट र छु, स्क लेक झ कर *, * भब्य के मेन इन-सान्न अस्त्र के विचार । | श्री गुरु अमानंद तिनको श्रेषत् है । ॐ कैसे मरमाबंद