पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद १.pdf/४०९

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प्रौढ़ माध्यमिक-प्रक्ररथ ३७३ उपर्युक्ल प्रेथों के अतिरिक्त तिवारीज में इनके निम्न अन्य अर्थों के नाम खिखे हैं- | अद्भुत उपदेश, एचप्रभाव, गुरुसंप्रदाय, उत्पचिनिशानी, सतगुरुमहिमा, बारहमासे दौ, आयुर्बलभेदविचार, शूद्ध अर्थ, म सिद्ध, अष्ट सिद्ध, सप्त दाद, बाहशी, शृङ्गबंद छंद, अम्ल बंद छंद, अादि अक्षर दोहा छैद, मध्य अक्षरी, निगछंद, सिंहाव- नी, प्रतिलोम, अनुम और वृक्षबंद दहा है । | चौथे त्रैवार्षिक स्वदेश में इनकी सुंदर गीतावैराग्यपरिरय ग्रंथ मिला है। (२५३) ताहिर आगरा-नवासी, इन्होंने संवत् १६७८ औं एक सेकसार अच्छे छंद में { हि० ० ३० } बनाया । आपने अपने प्रेथ में स्त्रीति, सामुद्रिक लक्षण, शासन, चाबीख इत्यादि कहे हैं। इनकी येता ललित, शांत और गंभीर है । इन इन साधारण शेळी में रक्खेंगे । उदाहर-- पदुम जाति हुने प्रदुमन रानी ।

  • ज सुबास दुददस : बानी ।

ॐ चई बहन कम छ यार ।। छोड्छ र के छुडूत पहा । द्ध अहार अक्षय मुछ ची , अलवा म अचि जुर् - यौ। .. कैद असु श्री खेत सिँरी , अदु दरपन भईं दीप छाया ।।