पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१४०

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[सं० १७३७ १६६ मिश्यन्धुवनेछ । चिनकाल–१७३७ । विवर--नागढ़ के राजा दटेलसिंह के यहाँ थे । नाम-४६२) वैकुछ मांगेय शु, बुन्देलनंही ! अन्ध-(साघनादात्म्य, (२) अगइनमाहात्म्य ! रचनाकार--१७३७॥ बिवरण-दाने गय प्रज्ञमापा के ग्रन्थ है। नाम-(४६३) धुराम कायस्थ मेड़छी । ग्रन्थे–कृष्णमादिका । रचनाका-१७३७। चियरण—साधारण धेश । नाम-(४६४) रार। अन्थ–राजपन। रचनाकोल–१७३७ । नियर- मेवाड़ के राजघराने का इतिहास लिखा। नाम-(४६५) आसिफ । रचनाकाल–१७३८ । नाम-(४६.६) विहारी। । जन्मका-७१३। घनाफाल–१७३८। विवरण-ज़ारा में इनकी रचना मिलती है।