पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१४१

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भूपए-काल] वॉलंकृत प्रकरण । नाम--(४६७) महारानी जैसिंह मैवाड़। ग्रन्ध–जयविलास । रचनाकाल-१७१८ से १७५७ तक। चिंघर—ये महाराज मैया, उदयपुर के महापाथेर कवियों के आश्रयदाता धे। इन्होंने अपने वंश के घन में यह ग्रन्थ बनाया है। नान-(४६८) सामन्त । रचमाशाल–१३८ । बियर साधारण से दी। औरंगज़ेब दादशाह के यहाँ थे। नाम-(४६.६) सृजा बन्दीजन माड़यार। रचनाकाल—२०३८।। चिचरण महाराजा जसवन्तसिंह के पद थे। नाम (५००) गंगाधर ( गंगा ) । अन्ध–विक्रमविलास । रचनाकाल १७३९ | चिघर–माथुर थे थे। नाम--(५०) उचैना सन्दीझम बनारस। जम्मका–१७११ । चनाका–१७H ! घिबरा साधारण ४ थी । " नाम-(५०२) फाराम !