पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१६५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

| शै] पूर्णाकृत प्रकरण । सँधी मैदर और तब गये। पनत भात्र । कै उत द्वार न चालत हैं ये देई । भी पिक चातक मप काहू मार रियो के व पति उत्त अन्ते केटि ६ गई। आलम कई देर आली अञ्ज न अयै मेरे कैथै उत रोति विपतिं विधि ने छ । मदन महीप की ईंग्हाई फिरिदै ते ही। झुझि गये मेष के धनुरी सती भई । ज्ञाश्चर कीन्हें बिहारः अनेकन ताथर कवारी बैठ चुन्या करें] जा रसना से करी बहु चातन ता रखनी से चरित्र हुन्थे। क॥ आम ज्ञान से कुजन में फरी केलि त अन्न सस धुन्यो । नैनन में जे सदा रहते तिनकी अब कान कहानी सुन्यो करी ॥ | (५४७) शेख गरेजिन | इनके माता पिता का कुछ छाल इमें न मालूम है, केबल इराना शाह है कि इनकी मौत आलम नामक पषः नाम वापि से ६ गई थी। इन के इश्फ में पड़ कर चे मुसल्माम दा गर्थे र तय इन देने का विवाद भी हुआ | इन देने का साक्षात्कार भी चिचिन्न पवार में हुआ ! फहरौ हैं कि प्रात्यम च । एक बार इसे एक पगड़ी रँगने की दी, जिसके प ट में भूल से एक कागज का शु, के, ए, पण या ! इस ग्ल कर देश के स क्ष पद लिना पापा–"नाः छ सी कामिन फाफ फट लान ?' यह अारा ईदा अलम ने बनाया था, परन्तु शेष में बननै नै फिर