पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/१६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

शेलू ] ' लिम्न शक्करग्या ।। जाहत हैं इहि के देस्रत भयङ्क सूख्न जानत है ताते ताई में रहते हैं । मुन्नी देवीप्रसादजी शेख़ * अकबर के समय में होना लिखते हैं, परन्तु ठाकुर सिंह ने इनझे पति अलिम फा शहज़ादा मुअज्जम के यहां ना कळा है। ये आदशाह औरङ्गजेब के द्वितीय पुत्र थे मार संचत् १७६३ में अज्ञॐ की लड़ाई में मारे गये थे, | जिसके पी इनके बड़े भाई बदिशाह हुए। इसके प्रमाण में उन्हें ग्रामत एक छन्द दिला है, जिसने मुपमशाह 'फा यश प्रति है। उन्होंने यह भी लिन्ना ६°कि शेख के छन्द कालिदासत्र हुज़ारा-में निलते हैं। इस इज़ार में संवत् १५ तव के फबिये। के छन्द संग्रह हैं, अतः यह निश्चय हैं कि आलम और शेख उस समय था उससे पहले अवस्य धे। मुअज्ञम का भी समय इजारा के प्रतिकूल न पड़ता है। इम शिवसिंहूजा के समय की प्रामा- कि समझते हैं। ज्ञान वि के न्द परम मनेाद्दर देते थे। मुदा देवीमसाजी ने लिखा है कि इन पर अलम के पांच सैा । इनके पास संग्रह ६ । हुमने इनका कई ग्रन्थ माँ दैा, गुरनु फुट छन् संग्रह में घटुत पाये हैं। इनकी भपि मन भाया है। इनकी कविता से निकै ममी हैराने का प्रमाण मिलना है। द६ महिला त में एक गुफचि थी । इसकी गणना हम तैपि कवि फी श्रेणी में करते हैं। उत्तरार्थ इनकी केवल एक ईन्द यह लिखते हैं।