पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/४४५

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६५६ मित्रदन्भुबिनाए। [१० १८५ मातिन की माल तीर चीर सत्र चीरि डारे फेरि ३ न जद्दी आली पुत्र चिकपरे हैं। देवकीनंदन कई धाले नाम नन के अटके' प्रवुन नाचि चे निरंवारे हैं । मानि मुसा अन् भाव चैत्र ६ अघन तो ये निफु जम में पके तार तार ६ ॥ र र ईलत मराछ मवचारे से मैर मतवारे त्यों चकेर मतदारे ६॥ (६७७) मनियारसिंह । में महशिय फा-निचा क्षत्रिय थे। इन का पबत् शिवलिः सरैन में १८६१ लिखा है, परंतु इन्होंने मच्चि में अपना हुँच पाँ दिया हैं:- संवत के अक रंधे वेद यनु चन्द पूरी चन्द्रमा सरह फी चद धर्म धन हो । चाकर अडत श्री रामचन्द्र पांडेस है। | मुप्य सिप्प वि प्याऊ के चरन ६ ॥ मनियार न इयम सिंह के तनय भी उदय छत्र पेश की मुरी नियसन । पारपती १ जल जग में दिमत किया | भाषा अर्थचंत पुम्दत मदमन ६ ॥ इससे विदित होता है कि ये इयारसिद्ध के पुत्र रामपुर पंडित के सेवक पैर फूलाल के शिष्य पापा क्षय