पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५०७

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| !!६ [१५ 1८९५ निरपतिः । | (११२३) सर्वस शुद्ध ।। शिवं मरीज में दिए हैं कि ये मदाय दिगदपुर निन्दा दापि ५ । पाप, सरदान भट्ठी १ एशा उभयविंद संदर्भ के पद! अमर, रररर र रमजरी मामः ग्ध एग से शापा विर्य पर फिर पैड पाले राजा गरविंद ५ गए जाणार रिमाइत मारवः सन् धनाने में राजा साव का सहायता दी । दमारे पसि इनपा उमद्याप जाम, प्र गति पमान है, जो मरते अनुपाड़ ६ 1 इसमें यंस ने अपने ग्रासया का पूरा धन किया है। पहन ६ : परस्य! { इला गीतापुर) में चैधरि के धराने में राज्ञा बालबम के अमरसिंह पुत्र थे, जिनके शियसिंद र भवानसिंह मामक दो पुत्र उत्पन्न हुए । इन्द्र घिसिंह के पुत्र उमरासिंद इनके पायदाता थे। चिसय में वाघ फायग्र्यों का यह घराना मझायधिं घर्तमान है, और इसकी गणना अघ मी रईस में ६। गुर्घस जी ने लिया है कि उन्होंने मरायसिंह के नाम पर

  • उपरापासव" मीर उमरवम " नामक देश अन्य घनाय धे

और फिर उन्ही फी आशानुसार संवत् १८६२ में “इमरायप' सनाय । अतः इनको अनैटी के राग उभपसंद है याक्षप में अन्य धनानी प्रमाणित नहीं देता और इस विचार से सुगंस का "सतगिकी' और "रसमजरी' का अनुवाद करना भी ठीक नहीं जान पड़ता है यद्द सुना जाता है कि ये माशय पैठ में भी गये थे । इन्दन लिया है कि उमरयर में इन चीड़ा, हाधी,