पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद २.pdf/५४७

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मिभन्युबिनाए । [सं०१८,१ Tम-(१३३१) शिवलाल पाठक । न्थे--(१) अभिप्राय घापक, (२) भानप्तमयंक । विताकाल-१८७५।। गयर–मियम की टीकी यी है। शम (१९३२) थलाल गुजराती, धार, राजपूताना। मका–१८५०। कवितावाल-१८•| तीसवाँ अध्याय । पद्माकर-काल । (१८६-८६) । (१२३३) पद्माकर भद्द। पद्माकर मट्ट के विपय में डुमरा-नवासी पडित भको तिवारी ने एक दैत्र लिखा था, ज्ञा देवनागर के प्रथम घर्ष की प्रथम सख्या में प्रकाशित छुआ । इस लेप के पैतिहासिक भरग की दुम मुख्यशः उसी के अधिार पर संचते हैं, फ्र्योंकि हमारे पास उसले उतर पाई प्रमाण नहीं है। पद्माकर ने अपने किसी अन्य | में सन्-सचेत् का फोई योरी नहीं दिया | अतः इनके ग्रन्थों है पूर्वीपर फम चरिंग प्रमाणां पर अनुमानै पर ही निर्भर हैं।