पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ३.pdf/२०

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मिश्रबंधु-विनोद अज्ञात-कालिक प्रकरण ...इकतीसवाँ अध्याय अज्ञात कालं. बहुत-से कवियों के विषय में प्रयत्न करने पर भी काल-निरूपण नहीं हो सका, परंतु इसी कारण उन्हें छोड़ देना अनुचित समझकर हमने उनके लिये यह अध्याय नियन कर दिया है। इनमें खगनिया की कविता कुछ अच्छी प्रतीत होती है । इन कवियों में दो-चार का सूक्ष्मतया हाल समालोचनाओं द्वारा लिखकर चक्र-द्वारा शेष का वर्णन कर देवेंगे। इस'. . संस्करण में जिनका हाल विदित हो सका उनके नाम यथास्थान रख दिए गए हैं, परंतु नंबरं न बिगड़ने के कारण नहीं हटाए गए।...' __ "नाम-(१३२१) अनंत कवि फुटकर छंद गोविंदगिल्लाभाई' के पुस्तकालय में हैं। . नाम- (१३२२.) कलंस । देखो नं० (१३५) "विवरण- कवि कलस शंभाजी के काव्य-गुरु और प्रधान अमात्य थे। शंभाजी इनकी बड़ी इज्जत करते थे। यह और कलस साथ-ही-साथ पकड़े गए और मार डाले गए। कलस वीर पुरुष पर विषयी था । कहते हैं, शंभाजी की दुर्दशा और अधःपतन इसी के कारण हुआ। महाराष्ट्र लोग शंभाजी को घृणा की दृष्टि से देखते हैं- .. .. .