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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९१३ उपन्यास हैं । आप बड़े ही मिलनसार और उदार प्रकृतिवाले पुरुष थे। आपने जैनेंद्रकिशोर की एक अच्छी जीवनी भी लिखी। अपराजिता उपन्यास में चरित्र-चित्रण उच्च कोटि का है। पांडेयजी हमारे उत्कृष्ट गध-लेखकों में से हैं। नाम-(३५२६) हरिनाथ (शालू पंडित)। जन्म-काल-सं० १९२३ । रचना-काल-सं० १९५३ । बंथ-(१) बालू-पुराण, (२) हलचल हल्ला, (३) हल- चल कजरी, (४) हलचल पुराण । विवरण-बाबतपुर सराय तकी में जन्म हुना । श्राजकल काशी में चिरकाल से रहते हैं । हास्य-रस के उद्भट कवि एवं लेखक हैं। आलू पंडित के नाम से प्रसिद्ध है। समाज तथा देश- सुधारक हैं। उदाहरण- भालू पंडित की आई खोदाई। हर खे खोदै कुदारिन खोदै हुनर नइ सिखलाई। गुरू वही जो चेला सिखावै करै कमाई तो खाई आलूजी के ब्याह भए जब दूनी दुलहिन पाई। है दुलहिन दूनी औ मोटी नाम है बैंगन बाई ; नारद नित चाहत पंडित सँग जो भागत हरखाई। समय-संवत् १९५४ नाम-(३५३०) गोप्यअलादेवी 'ज्ञान-कला', अपहर ग्राम, छपरा जिला। जन्म-काल-सं० १९३९। कविता-काल-सं० १९५४ । मृत्यु-काल-सं० १९७७ ॥ .