पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/२३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
२३९
२३९
मिश्रबंधु

२३४ मिश्रबंधु-विनोद सं० १९९६ रंकता बिदारि त्यों प्रगाढ़ अधिकार देके, सबद-समूह सम सम्सुख पसारा करु । परम विसाल ध्वनि व्यंग्यन को बाल करि, दोषन के जालन दया सों वेगि जारा कर; भूपननि भावनि रसनि परिपूरित के, बाल-कविता को सातु सारद सहारा करु । नाम-( ३५३६) सूर्य कुमार वर्मा, कठवारा, लखनऊ। हाल में ग्वालियर-निवासी। जन्म-काल-लगभग सं० १९३० । रचना-काल-स. १९५५ । ग्रंथ-पुरातत्व एवं इतिहास पर कई ग्रंथ लिखे हैं। विवरण-काशी-नागरी-प्रचारिणी सभा के उत्साही सदस्य हैं। पहले काश्मीर में काम करते थे। अब ग्वालियर-रियासत के उच्च कर्मचारी हैं। समय-संवत् १९५६ नाम-(३५४०) अक्षयवट मिश्र ( उपनाम विप्रचंद्र)। इनका जन्म जेष्ठ शुद्ध १२, सं० १९३१ को डुमराँव में हुआ। इनके पिता राजेश्वरी राधाप्रसादसिंह महाराज डुमराँव के सभासद् थे । यह शाकद्वीपी ब्राह्मण थे। इन्होंने संस्कृत-भाषा अच्छी पढ़ी है । चार वर्ष मालवा में इन्होंने जैन-ग्रंथों का मागधी से संस्कृत में अनुवाद किया, और तीन वर्ष कलकत्ता एवं मेरठ-कॉलेज में संस्कृत का अध्यापन किया, तथा कुछ काल डुमरांव-नरेश के बालक को पढ़ाया । एक वर्ष इन्होंने अवधकेसरी मासिक पन्न का संपादन किया । आपने संस्कृत के कुछ ग्रंथ बनाए, और आनंद- कुसुमोबान एवं सदाबहार-नामक दो हिंदी-पय-ग्रंथ भी रचे । पहले में मनहरनों में श्रृंगार-काव्य और द्वितीय में गाने की चीजें हैं।