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मिश्रबंधु

सं. १६७५ उत्तर नूतन पीत 3 पट अंग फहरात महरात उत्त, चुनरी सुचारु चारु चित्रित जुन्हाई है गात की गुराई 'उमराव' कवि गाई उतै , मुख मधुराई इत ललित लुनाई है। नान--( १२४६ ) कमलाबाई किये। जन्मन्काल-लगभग स. १६५० । रचना-काल-स. १६७५ । विवरण - श्राप कि साहब, इंदौर की धर्मपत्नी हैं। हिंदी-पत्र- पनिकायों में श्रापके उच्च कोटि के लेख प्रकाशित हुआ करते हैं । नाम-(४२४७ ) कल्ला ब्रजवल्लभजी। विवरण---यह पुष्करण बामण दरबार हाईस्कूल में हिंदी-अध्या- पक हैं। रचना-काल- लगभग सं० १९७२। (४२४८ ) कालिदास कपूर। विवरण-~-याप विश्वंभरनाथ कपूर के पुत्र तथा कालीचरन-हाई- स्कूल, लखनऊ में हेडमास्टर हैं। श्रापको हिंदी से विशेष प्रेम है। श्रापके लेख सरस्वती तथा माधुरी श्रादि मासिक पत्रिकाओं में प्रकाशित होते हैं। --(४२४६) किसोरीदास (वाजपेयी) विशारद, शास्त्री। रचना-काल-लगभग सं० १९७१। ग्रंथ-(१) साहित्य-मीमांसा, (२) काव्य-प्रवेशिन, (३) रस और अलंकार, (४) साहित्य-उपक्रमणिका । विवरण-पंडित तो आप प्राचीन शैली के हैं, पर नवीन समा. लोचक, संस्कृत के विद्वान्, ब्रजभाषा के परम प्रेमी, पर खड़ी बोली के शविरोधी, उपयोगितावादी, सांख्य, वेदांत के सुखभोगी, काव्य में धीर-रस के 'इसराज होने के प्रतिपादक हैं। इनके विचार-पूर्ण लेख नाम-