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मिश्रबंधु

सं. १९७६ उत्तर नूतन समय-संवत् १६७६. नाम-(४३०४ ) कार्तिकेयचरण मुखोपाध्याय (काली- बाड़ी) छपरा, प्रांत बिहार । जन्म-काल-सं० १९५४ । रचना-काल-सं० १९७९ । ग्रंथ---(१) मुस्तफा कमाल पाशा, (२) सती सुभद्रा, (३) मनीपुर का इतिहास। विवरण-~यह पं० कालीकिंकर मुखोपाध्याय के पुत्र हैं। बंगाली सजन होते हुए भी इनको हिंदी की निंदा एवं अप्रतिष्ठा तनिक भी सहन नहीं होती है। अपनी धर्मपत्नी श्रीमती नलिनीवालादेवी को भी हिंदी की अच्छी शिक्षा दी है, और उन्होंने योग्यता पूर्वक 'शकुंतला' जैसी सुंदर पुस्तक की रचना की है । मौलिक ग्रंथों के अतिरिक्त, जो ऊपर लिखे जा चुके हैं, इनके अनुवादित ग्रंथों की संख्या लगभग ४०-४५ के है। किसी समय इन्होंने 'भारतमित्र' के सहकारी संपादक का भी कास किया है। इस समय यह 'हिंदी-दारोगा-दफ्तर के संपादक और हिंदूपंच' के निरीक्षक के रूप में कार्य कर रहे हैं। उदाहरण- बिजली निराधार इस नील क्यों बिजली ! तू बिहँस रही है अंधियारी इस अमा-निशा में इतराती क्यों थिरक रही मृगतृष्णा सी मरीचिका - सी प्रवंचना क्या सिखा रही है ? गगन