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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं०१८ भूशास्त्र, (१) प्राण-घातक कीटाणु, (६) मधु-मक्खी और उनसे व्यवसाय, (७) लोम-संबंधी रोग, (८) काला पहाड़ (उपन्यास), (६) बाल-गल्पावली, (१०) बाल-वीर-गाथा; (११) भेड़क आदि। विवरण-देवास ( मालवा ), इंदौर में जन्म, निवास स्थान मुर्रा तहसील छिवडामऊ, जिला फ़रुद्राबाद है। आप विविध विषयों में वर्तमान प्रणाली के सुलेखक हैं। उदाहरण- छूट गई तू माला मेरी छूट गए दाने भी सारे . यन्त्र तत्र यों टेढ़े-उलटे 'पड़े हुए हैं न्यारे-न्यारे । कैसे माला तुझको हा ! मैं बना सकंगा · फिर वैसी भव्य भावमय हृदय-पटल पर पड़ी हुई तू है जैसी। था विश्वास अटल यह. मेरा उससे मुझे मिला देगी; “नाथ - भेट की पुष्पांजलि तू लाकर मुझे दिला देगी । फेर - फेरकर, उसको निश्चय पाऊँगा उसको पाकर, उसका होकर उसमें घुल-मिल जाऊँगा । किंतु खेद है मुझे, हाय ! अब मिटा साथ मेरा तेरा तुझे घुमाकर