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मिश्रबंधु

१४२ मिश्रबंधु-विनोद सं० १९८० नाम-(४३३६) हरिभाऊ उपाध्याय । उज्जैन जिले के औरासा-नामक ग्राम में उत्पन्न हुए । पिता का नाम पं० सिद्धनाथजी है। जन्म-काल-सं० १९५५ । रचना-काल-सं० १९८० । ग्रंथ-कई पत्रों के संपादक रहे हैं। विवरण-आप बहुत दिन तक 'सरस्वती' में काम करते रहे । पीछे 'प्रभा', 'हिंदी-नवजीवन', 'मालवमयूर', सस्ता साहित्य मंडल में काम किया, तथा त्यागभूमि का संपादन करते रहे । उद्धत देश-प्रेम-वश कई बार जेल-यात्रा भी कर चुके हैं। कविता भी नवीन भाव-पूर्ण अच्छी करते हैं, तथा बड़े उत्साही सज्जन हैं । उदाहरण- कहाँ से लाऊँ चोखे फूल ? भौरों ने जूठे कर डाले रहे तव अनुकूल तेरे भक्त फूल चुन लाते पाते मंगल-मूल । पर मैं जब-जब जाता हूँ, काँटे ले आता भूल ; काँटों का यह बाग लगाया, काँटों के ये फूल । अर्पण हैं तेरे चरणों में तीखे-तीखे फूल ; कहाँ से लाऊँ चोखे फूल? ज्ञान-खानि का रन नहीं हूँ, और. न काव्य-कला-गुंबद । मैं तो कोरा क्षार-सिंधु के जल का हलका-सा बुख़ुद । अश्रु नहीं, जो व्यथा-कथा को जग के उर में लिख पाऊँ मुक्ताफल हूँ नहीं, स्वर्ग-सुदरियों में आदर पाऊँ । मैं तो खारे जल का बुद्बुद रीता आता-जाता हूँ खाली जग में आकर क्षण-भर सूने में लय पाता हूँ। नाम-(४३४० ) हेमचंद्र जोशी (बी० ए०)। . 8 5