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मिश्रबंधु

मिश्रबंधु-विनोद सं० १९८० चक्र मधुर मोद मकरंद सु प्यारा श्रहो छलक उठती रस भर जाता अंतस्थल सारा, जीवन-सुमन विकल यह सहसा खित उठता है सस्मित राग करुण · राग रंजित जब तेरा होता प्रिय मुझ पर अनुराग । नाम -(४४४८) दामोदरसहाय, बाँकीपुर । विवरण-~-श्रापकी मृत्यु सं० १६८८ के निकट हो गई। नाम--(४४४६ ) निहालकरण सेठी। विवरण-श्राप खंडेलवाल जैन तथा काशी-विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। नाम-(४४५०) पद्मकांत मालवीय, प्रयाग। जन्म-काल-लगभग सं० १९६२। रचना-काल-सं० १९८० ग्रंथ-(१) त्रिवेणी, (२)प्याला आदि । विवरण-श्राप कृष्णकांत मालवीय के पुत्र एवं हिंदी के एक होनहार कवि और लेखक हैं। नाम-(४४५१ ) पोर मुहम्मद 'मूनिस' बेतिया, चंपारन । जन्म-काल-सं० १९५१ । रचना-काल-लगभग सं० १९८० ग्रंथ--मूनिस-ग्रंथावली। विवरण-यह जाति के मुसलमान हैं, किंतु हिंदी से विशेष प्रेम रखते हैं। इनके लेख प्रायः 'प्रताप', 'श्रायमिन्न', 'बालक' श्रादि पत्रों में निकवा करते हैं।