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मिश्रबंधु

सं० १९९० मिश्रबंधु-विनोद ६६० जन्म-समै संवत उनीस सै यकीस, मम धृष्टता विलोकि क्षमा कीजै लीजै अपनाय । मुख सुखकंद सोहै मंद मुसकान-युत नील नीरजात गात सुषमा सनी रहै ; वारिज-विलोचन विशाल त्यों तिलक भाल भूपननि शोभा तैसी अंगन धनी रहै। पीतपट-युत उभै सैन्य मध्य स्यंदनस्थ वेत-पाणि एक ज्ञान मुद्रा त्यौं ठनी रहै । देत ज्ञान पारथै यथारथै जो भगवान, सोई श्याम मूरति सुध्यान में बनी रहै ।