पृष्ठ:मिश्रबंधु-विनोद ४.pdf/६९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६९९
६९९
मिश्रबंधु

के समय-समय पर लिखे गए समालोचनात्मक स्था महत्व पूर्ण के का संग्रह है। मनोरंजन की सामग्री भी काफी है। पुस्तक कक्षाओं में पाठ्य पुस्तक होने योग्य है । मूल्य १३), सनिल्द २ साहित्य-सुमन (चतुर्थावृत्ति) लेखक, स्व० पं० बालकृष्ण भट्ट । भट्टजी की भाषा हिंदी-साहि में अपना विशेष स्थान रखती है। यही कारण है कि यह यू० पी० की विशेष योग्यता और अन्य प्रांतों में भिन्न-भिन्न परीक्षाओं में पाठ्य पुस्तक बना ली गई है। इनके लेखों में उपन्यास और कहा- नियों का पूरा मज़ा भाता है। जी भी नहीं ऊपता । निरंतर नई-नई ज्ञातव्य बातों का पता लगता जाता है। मूल्य ॥5), सजिल्द 10) काव्य-कल्पद्म (तृतीय परिवर्द्धित संस्करण) लेखक, कविवर श्रीकन्हैयालालजी पोद्दार । यह संस्करण सर्व नवीन रूप में है। सर्वप्रथम नौ रस का विवेचन है। हिंदी में रस पर ऐसा ग्रंथ श्राज तक प्रकाशित नहीं हुधा । नौ रस पर गवेषणा-पूर्ण विवेचन है, वह हिंदी के लिये अभूतपूर्व है। संस्कृत जो विषय भिन्न-भिन्न पुस्तकों में हैं, उन सबका एक ही स्थान समावेश कर दिया गया है। विषय को बड़ी सरलता से समझाया उतरणों में ज़वीन रचना के अतिरिक्त सुप्रसिद्ध प्राचीन अलभ्य ग्रंथों के बये ही हृदयग्राही पद्य चुनकर दिए हैं। अंथ हिंदी-साहित्य के विद्यार्थियों के लिये ही उपयोगी नहीं। वरन् संस्कृत साहित्य के विद्वानों के लिये भी अवश्य इष्टव्य