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मिश्रबंधु

- (३६) जीवन की एक योजना पूर्ण हो जायगी, और आपके हाथों में अनुपम ग्रंथ-र पा जायगा । मूल्य इस प्रकार रक्खा गया है- 1. प्रत्येक खंड का सूल्य १) है-। डाक-व्यय अलग। २. प्रथम चार खंदों का मूल्य १) हो लिया जायगा। किंतु १) एक साथ, प्रारंभ में ही, भेजने होंगे । ढाक-व्यय मान रहेगा। ३. पूरे २० खंडों का रियायती मूल्य २०) होगा। डाक-व्यय कुछ भी न दिया जायगा । २०) पेशगी भेज देने होंगे। आप भी ग्राहकों में नाम लिखाएँ, और साथ ही भपने मित्रों से मनु- रोध करें। एक प्रति मंगाकर देखें । छपते ही ८०० प्रतियाँ विक गई ! व्यवस्थापक गंगा-ग्रंथागार, लखनऊ ।