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पृष्ठ:मुण्डकोपनिषद्.djvu/३

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निवेदन मुण्डकोपनिषद् अथर्ववेद मन्त्रभागके अन्तर्गत है। इसमें तीन मुण्डक है और एक-एक मुण्डक के दो-दो खण्ड हैं। ग्रन्थ के आरंभ में ग्रन्थोक्त विधाकि आचार्य परम्परा थी गई है। वहाँ वतलाया है कि यह विधा ब्रह्माजी से अथवा को प्राप्त हुई। और अथवा से क्रमश: अङ्गी और भारद्वाज के