पृष्ठ:मुद्राराक्षस.djvu/२५८

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२०२ मुद्राराक्षस नाटक सर्वार्थसिद्धि ने नंदों को राज्य दिया और भाप तपस्या करने लगा। जंदों ने ईर्षा से मौर्य और उसके लड़कों को मार डाजा, किंतु, चंद्रगुप्त चाणक्य ब्राह्मण के पुन विष्णुगुप्त की सहायता से नंदों को नारा करके राजा हुआ। . योही भिन्न भिन्न कवियों और विद्वानों ने भिन्न भिन्न चार लिखी हैं। किंतु सूत्र के मूल का सिद्धांत पास पास एक ही आता है। इतिहासतिमिरनाशक में इस विषय में जो कुछ लिखा है वा नीचे प्रकाश किया जाता है। . विम्बसार को उसके लड़के अजातशत्रु ने मार डाला । मालूम होता है कि यह फसाद ब्राह्मणों ने उठाया। अजातशत्रु बौद्ध मत का शत्रु था। शाक्यमुनि गौतम बुद्ध श्रावस्ति में रहने लगा। यह भी प्रसेनजित को उसके बेटे ने गद्दी से उठा दिया; शाक्यमुनि गौतम बुद्ध कपिलवस्तु में गया। - अजातशत्रु की दुश्मनी बौद्धमत से धीरे धीरे बहुत कम हो गई। शाक्यमुनि गौतम बुद्ध फिर मगध में गया। पटना उस समय एष गाँव था। वहाँ हरकारों की चौकी में ठहरा। वहाँ से विशाली में गया। विशाली की रानी एक वेश्या थी और वहाँ से पाद गया। वहाँ से कुशीनार गया। बौद्धों के लिखने बमुजिब उसी जगा जैनी महावीर के समय विशाली अथवा विशाला के राजा का ना श्वेटक बतलाते हैं। यह जगह पटने के उत्तर निरहुत में हैं पर उजड़ गई है वहाँ वाले अब उसे बसहर पुकारते हैं। ___ कैसे आश्चर्य की बात है, चेटक रंडी के भड़वे को भी कहते ( हरिश्चंद्र) . जैन यहाँ महावीर का निर्वाण बतलाते हैं, पर जिस जगह को वासुप मानते हैं असल में वह नहीं है, पावा विशाली से पश्चिम और ..... ते उत्तर होना चाहिए।