पृष्ठ:मेघदूत का हिन्दी-गद्य में भावार्थ-बोधक अनुवाद.djvu/२४

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मेघदूत।


दिखाई दे रही है। देवाङ्गनाओं सहित देवता लोग इस अपूर्व दृश्य को देख देख कर बहुत ही प्रसन्न होंगे।

आम्रकूट के आगे चित्रकूट मिलेगा। उस पर भी बड़े बड़े शिखर हैं। मित्र मेघ! जब तू उसके सामने पहुँचेगा तब वह भी अपना अहोभाग्य समझेगा और तुझे थका देख अपने सिर पर बिठा लेगा। तू भी घोर वृष्टि करके उसकी निदाघ-ज्वाला को अच्छी तरह शान्त कर देना। इससे कृतोपकार का उसे तत्काल ही बदला मिल जायगा। सज्जनों के ऊपर किये गये सद्धावसूचक उपकार का फल मिलते कुछ भी देर नहीं लगती। चित्रकूट की कुञ्जों में बनवासी लोगों की बालायें मनमाना बिहार किया करती हैं। बहुत नहीं तो थोड़ी देर तू अवश्य ही उस पर ठहर जाना; तब आगे चलना। पानी बरसाने से तब तक तू हलका भी हो जायगा। अतएव, तू और भी अधिक वेग से चल सकेगा।

आगे तुझे नर्मदा नदी मिलेगी। बड़े ही विषम पत्थरों से टकराती हुई वह विन्ध्याचल के बीच से बहती है। दूर से वह तुझे काले काले हाथी के शरीर पर खरिया मिट्टी से खींची गई श्रृङ्गार- रखाओं की रचना के समान दिखाई देगी। नर्मदा के किनारे, किनारे, और कहीं कहीं मध्यवर्ती टापुओं में भी, जामुन के कुञ्जही कुञ्ज हैं। वे उसके जलप्रवाह के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। इस कारण उसकी धारा रुक रुक कर बहती है। विन्ध्याचल में बड़े बड़े बनैले हाथियों की अधिकता है। उनके मस्तकों से मद टपका करता है। वे जब नर्मदा में जल-विहार करते हैं तब वह मद पानी में मिल कर उसे सुगन्धित कर देता है। अतएव,ऐसा