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पृष्ठ:मेघदूत का हिन्दी-गद्य में भावार्थ-बोधक अनुवाद.djvu/५१

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मेघदूत ।


है: नाभि उसकी गहरी है: आँखें उसकी चकित हरिशों की आंखे के सदृश हैं: नितम्ब उनके बहुन भागे हैं, इसमें वह चलने में अनमानी सी है; और पयोधर उसके गुरुना-वर्ग है, इसमें बड़ी कुछ अको हुई मी है। उनकं म्पवर्णन में और अधिक बहन की अावश्यकता नहीं। इतना ही कहना वन होगा कि वयों को स्मृष्टि में ब्रह्मा नं उसी को सबसे अधिक सुन्दर बनाया है : अथवा ब्रह्म की कारीगरी का सबसे बढ़िया नमूना वही है ,

उसी को न मरी प्रागश्वरी ममझता। वह मं दृसरे जीवन के ममान है ! मुझमे वियुक्त होने के कारण वह बहुत कम बोलती होगी । बोलें क्या ,बातचीत में उसका मनहीं न लगता होगा। उमकी दशा तो चकवे से बिजुड़ी हुई चकवा के नदश हंगा। वियंग के इन दिनों में उसका उत्कण्ठा बहुत ही बढ़ गई होगी, शीत की मागे पद्मिनी के समान उसका रुप कुछ का कुछ होगया होगा। बेचारी अकेली न मालुम अपने दिन किम तरह काटता होगी। दिन-रात रोते रोते उनकी आंखे मुज़ गई होग! गरम गरम उन्मास लेते लेते. उरके ओठों का रङ्ग फीका पड़ गया होगा। खुली हुई अलके उसके मुम्ब पर लटक रही होगी ? उनसे वह कही कहीं छिप गया होगा। अतएव हाथ पर रक्खा हुया, उसका वह मुन्व-तुझसे पीछा किये गये । धनों से घिरे ढग । चन्द्रमा के समान-मलिन और कान्तिहीन दिखाई देता होगा चलायमान मेघों के कारण जो हाल चन्द्रमा का होता है- अर्थान कभी तो उसका कुछ अंश ढक जाता है, कभी खुल जाता है. कभी धुँधला दिग्वाई देता है-वही हाल- लटकी हुई अलको के कारण मेरी