पृष्ठ:मेरी आत्मकहानी.djvu/१९९

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(Afrimin mi भाr. marn. कानपुर. पटना । गम्मत mE गमे में न भाग या ग पा rinment Aur in गिंग पग्निामे TER Fifical familtinismriRTrefirma मा र अरे में are from मुझे पान-पान mgx गम में भाग लेने के साण मुमटिष्टी कमिश्नर को धमरा भीमनी में मम्मान को लार काम्यांना ाि. परामर में साम में मनभाने कंगा taपन नमा गग में उमफे पग्नं का प्रयाया। मन की बहन पटले मन्मजन के प्रांगनी पनि मानाग में पाम आग और पाने लगे कि तुम्हे मम्मे मामभापनि ना पडेगा। मैने कहा कि ममय पाहुन यो ग गया है। इनमें में अपना मापण नहीं लिम्य माना। उन्होंने पहा, जो पाको पर इम पट को स्वीकार करने के प्रतिक और मा. उपाय नह। हारफर मुझे उनकी यान माननी पी। मैने पटिन गगन र पी काशी से बुलाया। एक छुट्टी के दिन हम लोग भापण निपने के लिये बैठे। वायू पुत्तनलाल विद्यार्थी मेरे पास घे और प्रत्येक प्रश्न पर अपनी सम्मति देत जात थे और मैं मायए लिस-लिखकर पंटित रामचंद्र शुक्ल को पता जाता था और वे उसे दोहराकर एक टार्फ