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मेरी आत्मकहानी
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(४२) सक्षिप्त राम-स्वयंवर―सपादक, श्री बाबू व्रजरवदास बी० ए०, एल-एल० वी० (१९२३)

(४३) शिशु-पालन―लेखक डाक्टर मुकुदस्वरूप वर्मा (१९२५)

(४४) शाही दृश्य―लेखक, बाबू मक्खनलाल गुप्त (१९२६)

(४५) पुरुषार्थ―लेखक, बाबू जगन्मोहन वर्मा (१९२६)

(४६) तक-शास्त्र (भाग १)―लेखक, बाबू गुलाबराय, एम० ए०, एल-एल० वी० (१९२७)

(४७) तर्क-शास्त्र (भाग २)―लेखक, बाबू गुलाबराय, एम० ए०, एल-एल० बी० (१९२७)

(४८) तर्क-शास्त्र (भाग ३)―लेखक, बाबू गुलाबराय, एम० ए०, एल-एल० बी० (१९२७)

(४९) प्राचीन आर्य-वीरता―लेखक, पंडित द्वारकाप्रसाद चतुर्वेदी (१९२७)

(५०) रोम का इतिहास―लेखक, पंडित प्राणनाथ विद्यालंकार (१९२८)


(११)

काशी-विश्वविद्यालय

सन् १९०५ मे जब बनारस में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन हुआ था, पंडित मदनमोहन मालवीय जी ने टाउनहाल में व्याख्यान देकर अपने उस प्रस्ताव की विशद रूप से व्याख्या की थी जिसके अंनुसार वे एक ऐसे विश्वविद्यालय की स्थापना करना चाहते थे, जो