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मेरी आत्मकहानी
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(४) हिंदी कुसुमावली भाग १ और २ (इंडियन प्रेस १९२७),

(५) Hindi Prose Selections (इंडियन प्रेस १९२७),

(६) साहित्यसुमन ४भाग (इंडियन प्रेस १९२८),

(७) गद्यरबावली (इंडियन प्रेस १९३१),

(८) साहित्यप्रदीप (इंडियन प्रेस १९३२)

इस काल में मेरे ये लेख भी छपे―

(१) रामावतसंप्रदाय (ना० प्र० पत्रिका १९२४)

(२) आधुनिक हिंदी के आदि आचार्य (ना० प्र० पत्रिका १९२६)

(३) भारतीय नाट्यशास्त्र (ना० प्र० पत्रिका १९२६)

(४) गोस्वामी तुलसीदास (ना० प्र० पत्रिका १९२७, १९२८)

(५) हिंदीसाहित्य का वीरगाथाकाल (ना०प्र० पत्रिका १९२९)

(६) बालकांड का नया जन्म (आलोचना) (ना० प्र० पत्रिका १९३२)

(७) चंद्रगुप्त (आलोचना) (ना० प्र० पत्रिका १९३२)

(८) देवनागरी और हिंदुस्तानी (ना० प्र० पत्रिका १९३७)


( १२ )

कुछ व्यक्तिगत बातें

अब मैं कुछ व्यक्तिगत घटनाओं का उल्लेख करता हूँ जो मुझ पर घटित हुई और जिनके कारण मेरी सांसारिक स्थिति बहुत कुछ परिवर्तित हुई।

(१) सन् १९२५ मे मुझे मृत आत्माओं को बुलाने की