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मेरी आत्मकहानी
 

हूँ, उन्हे ३०) मासिक मिलता है जिससे उनकी गृहस्थी का काम कुछ-कुछ चलता है। मोहनलाल सब विद्याथों में बढ़े निपुण हैं। यद्यपि उनका मेरे प्रति ऐसा दुर्व्यवहार रहा है कि मेरे लिये उनका मुख देखना भी पाप है, पर यह समझाकर कि वह मेरा सबसे छोटा सहोदर है जिसे तीन वर्ष का छोड़कर पिता स्वर्गवासी हुए थे और जिसकी ग्यारह वर्ष की अवस्था में माता का देहात हुआ, मुझे उस पर क्रोध पर साथ ही साथ दया भी आती है। जितना दुर्व्यवहार उसने अपने स्वभाव से किया है उससे कही अधिक अन्य लोगो की प्रेरणा से हुआ है। (७) जनवरी १९२७ में गवर्मेंट-द्वारा प्रयाग में हिंदुस्तानी अकाडमी की स्थापना हुई । इस संबंध में गवमेंट ने इस संस्था के निम्नलिखित उद्देश्य निर्धारित किए थे। (1) The award of prizes (by a system of competition) for the production of best books on particular subjects (2) The translation of books into Urdu and Hindi by paid translators, and the publication of translations by the Academy (8) The encouragement of the production of original works or translations in Hindi and Urdu, whether by grants to Universities and Literary Associations or othertise (4) The election of eminent writers to Fellowships of the Academy