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मेरी आत्मकहानी
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१३—समिति की विशेषा आज्ञा के विना संग्रहालय की कोई भी वस्तु सभा के अहात के बाहर न जा सकेगी।

१४—यदि समा इन श॔तों सर को पूरा न करे तो अथवा यदि किसी समय इस कला-भवन के संग्रहालय की इतनी उन्नति हो कि उसके लिये सभा-भवन का वह भाग जो उसके लिये अलग किया जाय पर्याप्त न हो तथा काशी-नागरीप्रचारिणी सभा अधिक स्थान अथवा नये भवन का उपयुक्त प्रबंध करने में असमर्थ हो और भारत-कला- परिषद् उपयुक्त स्थान का प्रबंध कर सके तो जो सामग्री उक्त परिषद्-द्वारा इस संग्रहालय में संगृहीत होगी वह उसे वापस मिल सकेगी। स्तुि २५ वर्ष तक इस प्रबंध के सुचारु रूप से चलने पर यह समूह इस्तांतरित न किया जा सकेगा।

इस निश्चय के अनुसार कला-भवन सभा मे आया और उसका मान सामान सजाया गया। यद्यपि समा ने ६००) वार्षिक देने का वचन दिया था पर खर्च इस प्रकार हुआ- सवत् आय व्यय १९८६ १३७१ ९०६ १९८७ ७२८ १९८८ १९८८ ७३ २६५३ १९८९ ७९४ २४०७ १९९० ४१२ १०५३ १९९१ २३० ९२७ १९९२ ४५७ ११९१