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पृष्ठ:मेरी आत्मकहानी.djvu/२९३

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मेरी आत्मकहानी
 

आफ्रेक्ट ने तीन भागों में संस्कृत-पुस्तकों तथा उनके कर्त्ताओं की एक वृहत् सूची छापी है जो बड़े महत्त्व की है और जिसे देखने से संस्कृत-साहित्य के विस्तार तथा महत्त्व का पूरा-पूरा परिचय मिलता है। इसका नाम कैटलोगम कैटेलोगोरस है। ऐसे ही महत्त्व के ग्रंथों में हास्टर आफ्रेक्ट की बाटलियन लाइब्रेरी का सूचीपत्र, गलिंग की उडिया प्राकिम से पुम्न का सूचीपत्र तथा बेबर का बलिन के राज-पुस्तकालय का सूचीपत्र है।

काशी-नागरी-प्रचारिणी सभा की स्थापना के पहले ही वर्ष में इसके संचालकों का, जिनमें बाबू राधाकृष्णदास मुख्य थे, ध्यान इस महत्त्वपूर्ण विषय की ओर आकर्षित हुआ। सभा ने इस बात को भली भाँति समझ लिया और उसको इसका पूरा पूरा विश्वास हो गया कि भारतवर्ष की, विशेषकर उन -भारत की. बहुत-मी माहित्यिक नातिगमिक यात बेठनों में लपेटी, अंधेरी कोठरियो में वा हस्तलिन्धित हिंदी पुस्तकों में लिपी पड़ी हैं। यदि स्निी को कुछ पता भी है अथवा स्मिी व्यक्ति के घर में कुछ हस्तलिखित पुस्तके सगीत भी हैं तो वे या तो मिग्या मोहवश अथवा धनाभाय के कारण इन छिपे हुए सो को सर्वसाधारण के सम्मुख उपस्थित कर अपनी देश-भाषा के माहित्य को लाभ पहुंचाने और उसे मुरन्ति करने से परापमुख हो रहे हैं। समा यह भली भांति समझती थी कि इन छिपी हुई हस्तलिखित पुस्तको को ढूंढ निकालने में तथा उनको प्राप्त करने में बड़ी-बड़ी कठिनाइयो का सामना करना पड़ेगा, क्योकि सभ्यता की