पृष्ठ:मेरी प्रिय कहानियाँ.djvu/२२३

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२१४ समस्या कहानिया सुषमा-सब मूर्तियां जैसे धुलमिलकर मेरे चारों ओर तेजी से चक्कर काट रही थीं। भय और आवेश से मैं चिल्ला उठा। मुझे इतना ही होश है-मेजर शर्मा ने किसी तरह मुझे घसीटकर अपनी मोटर में डाला था। इसके बाद तो मै बेहोश हो गया। - -