होगा। बौद्ध भिक्षु यहां रहकर सन्मार्ग का अन्वेषण करेंगे-यही तथागत की
इच्छा है।
आनन्द ने सिर झुकाया । भिक्षु-मण्डल जय-नाद कर उठा। बुद्ध भगवान् धीरे-धीरे उठकर नगर के राजमार्ग से आते हुए अम्बपालिका की वाड़ी में आकर अपने आसन पर विराजमान हुए। कुछ दूर एक वृक्ष की जड़ में अम्ब- पालिका स्थिर वैठी थी। भगवान् को स्थित देख वह उठी और धीर भाव से प्रभु के सम्मुख आकर खड़ी हुई। भगवान् ने उसकी ओर देखा। अम्बपालिका ने विनयावनत होकर कहा-
बुद्धं सरणं गच्छामि
धम्म सरणं गच्छामि
संघं सरणं गच्छामि
तथागत स्थिर हुए। उन्होंने तत्काल पवित्र जल उसके मस्तक पर सिंचन
किया और पवित्र वाक्यों का उपदेश देकर कहा-भिक्षुओं ! महासाध्वी अम्ब-
पालिका भिक्षुणी का स्वागत करो।
फिर जयनाद से दिशाएं गूज उठी और अम्बपालिका तथागत तथा अन्य वृद्ध भिक्षुगण को प्रणाम कर वहां से चल दी और फिर वैशाली के पुरुष उसे न देख सके !!