डाक्टर साहब की घड़ी एक अद्भुत घडी की चोरी का मनोरंजक किस्सा, जिसका चोर एक प्रतिशत सदगुत्थ था। डाक्टर बेदी एम० डी० रियासत के पुराने और प्रख्यात डाक्टर हैं। अपने गत पचास वर्ष के लम्बे जीवन में उन्होंने बड़े-बड़े मार्के के इलाज किए हैं। सिर्फ अपनी ही रियासत में नहीं, रियासत से बाहर भी अनेक राजपरिवारों में उनकी वैसी ही प्रतिष्ठा और धूमधाम है। उन्होंने बहुत धन कमाया ; एक ने एक बड़े- कर अनूटी चीज़ रईसों से इनामों और भेंटो में ली। उनका ड्राइंगरूम उन चीजों से उसाठस भरा हुआ है। वे फरमत के वक्त अक्सर इसी ड्राइंगरूम में बैठकर अपने दोस्तों को उन मेंटो में पाई हुई चीज़ो के सम्बन्ध में एक से एक बढ़कर अद्भुत बातें सुनाया करते हैं। कोई-कोई बात तो बड़ी ही सनसनी-मरी, पाश्चर्यजनक और अत्यन्त प्रभावशाली होती है। अब वे प्रेक्टिस नहीं करते, यों कोई पुराना प्रेमी घसीट ले जाए तो बात जुदी है। आने-जाने वालों का तो उनके यहां तांता ही लगा रहता है ; क्योंकि वे मिलनसार, खुशमिजाज, उदार और 'नेकी कर कुएं मे डाल' वाली कहावत को चरितार्थ करने वाले पुल्प हैं। उनका लम्बा-चौडा डीलडौल साढ़े तेरह इंच की बड़ी मूंछे, मोटी और भरी हुई भौहें, तेज नुकीली नाक और मर्मभेदिनी दृष्टि असाधारण है । छोटे से बड़े तक उनका रुपाव है, पर वे छोटे-बड़े सब पर प्रेम-भाव रखते हैं। वे वास्तव में एक सहृदय और दयावान् पुरुष है ; भाग्यवान् भी कहना चाहिए । उनका जीवन सदा मज़े में कटा और अब भी मजे में ही कट रहा है। वे सब प्रकार के शोक, सन्ताप, चिन्ता और वेदना से मुक्त भानन्दी पुरुष की भांति रहते हैं। बुढे भी उनके दोस्त हैं और जवान भी; बालक भी दोस्त हैं। अपने पास आते ही वे सबको निर्णय कर देते हैं ; ऐसा ही उनका सरल स्वभाव है। हां, तो मैं यह कह रहा था कि उन्होंने बड़े-बड़े मार्के के इलाज किए हैं और
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