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कौतुक कहानिया बचाकर धोखें पोंछ ली। कुछ मिनटों में ही सूबेदार ने दम तोड़ा और मैं जैसे- तैसे उनके घर वालों को वम-दिलासा देकर डाक्टरी गम्भीरता बनाए अपने घर आ गया." डाक्टर ने एक गहरी सांस ली और एक बार मित्रों की ओर, और फिर 'उस घड़ो की ओर देखा। सभी मित्रों की आंखें गीती थीं और देर तक किसी के मुंह से पाबाज नहीं निकली।