पृष्ठ:मेरी प्रिय कहानियाँ.djvu/९५

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६४ मुगल कहानिया क्या ? वह टूटे या साबूत रहे, भाखिर अनहोनी तो हो गई-एक बार फिर मुलाकात हो गई। जहे किस्मत ! इलाहीबख्श भागे। वे चुपचाप घर से निकले । नौकर-चाकर देख रहे थे। उसके बाद किसीने फिर उन्हें नहीं देखा ! $