पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१०

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जो अबतक अर्थाभावके कारण इन प्रकाशकोंकी सेवा नहीं कर सकते थे। यदि हिन्दी के उदार पाठकों ने इस विषय में उचित सहायता की और पूर्ण योग दिया तो उनकी अभिलाषा इस संस्था द्वारा अवश्य पूरी होगी।

इन कतिपय शब्दोंके साथ यङ्ग इण्डिया का प्रथम भएड उदार पाठकों की सेवामें उपस्थित किया जाता है। आशा है इसे अपनाकर वे सभाका उत्साह अवश्य बढ़ावेंगे। यदि जनताने इस संग्रह को अपनाने में पर्याप्त उत्साह दिखाया तो सभा शोध ही महात्माजी के गुजराती नवजीवन के लेखों का संग्रह भी निकालने का यन करेगी।

विनीत-
राधा कृष्ण नेवटिया
मन्त्री
बड़ा बजार कुमार समा