तीयोंके लिये सहिष्णताका सिद्धान्त जीवनका ही सिद्धान्त है।
यदि ऐसा नहीं है तो इसका क्या कारण है कि उन बहुसंख्यक
स्थानोंमें जहां कठोरसे कठोर और अत्यन्त असहनीय दमन किया
गया था, सरकार की ओरसे होनेवाली ज्यादतियोंको छोड़कर
अन्य काई बड़ा उत्पात नहीं हुआ? क्या भारतीय निन्दनीय रूपसे
कायर है ? या वे इतने कमजोर हैं कि उनमें धूंसेका जवाब चूंसे
द्वाग देनेका साहस या शक्ति नहीं है ? इसका स्पष्ट और निर्वि-
वाद उत्तर वर्तमान परिस्थितिमें इस प्रमुख लक्षणसे ही मिल
जाता है कि उत्तर भारतकी युद्धप्रिय जातियोंने ही पंजाबमें तथा
संयुक्त प्रान्तमें पाशविक व्यवहारसे पीड़ित होकर भी अत्यन्त
आश्चर्यजनक आत्म-संयम प्रदर्शित किया है ।
वीर अकाली---संसारको आदर्श शिक्षा
इस समय पञ्जाबके वीर अकाली अमेय साहसके साथ प्रशान्त आत्म-संयम दिखलाने हुए संसारको आदर्श शिक्षा दे रहे हैं। इस घटनासे वीरतापूणे कार्यों एवं उज्ज्वल सफलताओंसे परिपूर्ण उनके जातीय इतिहासमें एक और . उत्साहवर्द्धक परिच्छेदकी सृष्टि होगी। संसारकी प्रशंसापूर्ण आंखोंके सामने इस बड़े संग्रामका विवरण
देना अनावश्यक है, क्योंकि कांग्रेसकी कार्य. समिति द्वारा नियुक्त गुरुका बाग-जांच समिनिने अपना निर्णय प्रकाशित किया है। यहांपर तो