पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१०७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
( १०० )


उन दो वक्तव्योकी ओर संकेत करना ही काफी होगा जिन्हें श्रीयुत सी० एम० एण्ड जने समाचार पत्रोंमे प्रकाशित कराया है। उन्होंने कानून और अमनके पवित्र नामसे इन विरोध न करनेवाले अकालियोंपर किये गये पाश- विक व्यवहारोंको अपनी आंखोंसे देखा है। उक्त दोनो दलोंमें उनकी योग्यताके अनुसार वीरता और भीरुताका विभाग करना पाठकोंके ही हाथमें छोड़ दिया गया है ।

युवराजकी सवारीके लिये सड़कोंपर राज्यका प्रबन्ध

राजकुमारके भारत-दर्शनका सविस्तर वृतान्त देनेका प्रयत्न नहीं किया गया है किन्तु जिन बातोंका इस भूमिकासे सम्बन्ध है वे संक्षेपमें दे दी जाती हैं। जहां जहाँ राजकुमारका गमन हुआ वहां वहां हड़ताल हुई । नौकरशाहीने देगक वास्तविक भावको छिपाकर बनावटी भाव दिखलानेके लिये कोई उपाय उठा न रखा। इस उदश्यसे उसने राजकुमार के मार्गपर ताल्लुकेदारों नया जमींदारों द्वारा धन देकर बुलाये गये मनुष्यो, कोर्ट आफ वाई मके काश्तकारों और कुछ ऐसे ग्रामीणों को पक्तिमे खड़ा कर दिया जो महात्मा गांधीके दर्शन करानेके बहाने लाये गये थे। शाहजादेको देखने आनेके लिये नगरोंमें मोटर गाड़ियां मुफ्त दी गयी थीं। नगरोंमें निश्चित स्थानोंपर एकत्र होनेके लिये प्रोफेसरों और शिक्षकों द्वारा कालिज और स्कूलके विद्या. र्थियोंपर दबाव डाला गया था और भारतीयों द्वारा राजकुमारके