पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१२२

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त्मक परिणामोंको उत्पन्न करनेमें पूर्ण असफलता' कही गयी है । कार्यक्रम के किसी किसी मदके सम्बन्धमें असहयोगियोंमें उचित मतभेदका ही अर्थ अधिक समझदार समर्थकोंका भ्रम दूर होना' लगाया गया है। महात्माजी की गिरफ्तारी पर जनसमूह में अशान्त उपद्रवों के न होने का श्रेय उनके 'अस्वा. भाविक शक्तिके बुलबुले' के शीघ्र फूठ जानेको दिया गया है ।

पूर्ण शान्तिका कारण महात्माजीका उपदेश है

वास्तवमे गान्धीजी की गिरफ्तारी के बाद पूरी शान्ति बनी रहने का कारण यह हृदयग्राही अनुरोध है जिसे उन्होंने इजा- रहों बार इन शब्दोंमें प्रगट किया था---

"मेरे लिये यह अभिमान या आनन्दकी बात न होकर लजाकी बात है कि सरकार मुझे इसलिये गिरफ्तार नहीं करनी कि ऐसा करनेसे उसे देश-व्यापी उपद्रव एवं तदुत्पन्न भीषण हत्याको आशङ्का है। यदि मेरा दण्डित होना समस्त देशमे तूफानका उत्पादक हो तो जिस अहिंसाका मैने उपदेश दिया है और कांग्रेस एवं खिलाफतने जिसका पालन करनेकी प्रतिज्ञा की है, उसके सम्बन्धमें यह घटना निराशाजनक टिप्पणीका काम देगी। अतः मुझे आशा है कि कांग्रेस तथा खिलाफतके अन्तर्गत काम करनेवाले पूर्ण शक्तिसे प्रयत्न कर यह दिखला देंगे कि सरकार और उसके हिमायतियोंकी शङ्का बिलकुल गलत थी। मैं दृढ़तापूर्वक कहता है कि इस प्रकारका