पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१३

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जी संस्करणको भूमिका तथा वाव राजेन्द्रप्रसाद लिखित बसहयोग का इतिहास (गनेशन के यंग इण्डिया के अंग्रेजी संस्करण की भूमिका)। इसलिये में इन सजनों और प्रकाशकों का

इस पुस्तक के प्रकाशित होनेका सारा श्रेय हमारे मित्र बाबू राधाकृष्णजी नेवटिया को है। इसके लिये वे हमारे तथा समस्त हिन्दी भाषीजनताके धन्यवाद के पात्र हैं क्योंकि उनके इस प्रयास और उद्योग विना शायद यह उपयोगी विषय केवल हिन्दी पढ़े लिखे लोगों तक न पहुच सकता। और इतने सुलभ मूल्य में पहुंचना तो स्वपकी बातें होती। इसके अतिरिक्त हमारे भनेक मित्रोंने प्रफ संशोधनादि में मेरी बड़ी सहायता की है। इनमें बाबू बद्रीप्रसाद जो गुप्त का नाम विशेष उल्लेखनीय है। मैं इन मित्रों की सहायताके लिये चिर चाधित हूं।

काम इतनी जल्दी में हुआ है कि भूलें रह जा सकती हैं। यदि उदार पाठकों ने उन्हें बतलाने की कृपा की तो दूसरे संस्करण में सुधारने का यन किया जाएगा।

इन कतिपय शब्दों के साथ मैं इस पुस्तक को उदार पाठकों की सेवामें उपषित करता है। आशा है कि वे इसे अवश्य अपनागे मौर मेरा परिश्रम सार्थक करेंगे।

कलकत्ता
छविनाथ पाण्डेय
 
शिवरात्रि १९७९