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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१२

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अधिक नहीं, इस लिये गुजराती नवजोवनसे लेख छटना और अनुवाद कर दे। मेरे लिये कठिन काम था। निदान मैंने हिन्दी नवजीवनस महायता ली और उसमें गुजरातो नवजोबन के जिनने लेख निकले थे मर इम संग्रह में दे दिये। अग्रतामें दो लानोंसे 'यङ्ग इरिडा' का मग्रह निकला है। पर में एक भी पूर्ण नहीं है। इस दिन्दा संग्रहमें उन दोनों नेजा संप्रनके अतिरिक्त हिन्दा नानीवन में प्रकाशित तथा गांधी न्दिा पुस्तक भण्डार से प्रति महात्मा गाधी' नामक पुस्तका भी चुने लेख दिये गये हैं। इसम यह पुस्तक सर्वोपयागा और पूर्ण है। जिन स्थानों से मैंने सहायता ली है उसके लिये मैं उक्त सजनों का आभारी हूं।

इस पुस्तक की भूमिका लम्बी चौडी हो गई है अर्थात्प्रा य आठ फर्म भूमिका में ही चले गये हैं। पर यह भूमिका क्या है भारत के साथ अग्रेजी कम्पनी के सम्पन्ध मा मक्षिप्त इतिहास तथा असहय ग आन्दालनका सक्षिप्त इतिहास है। इसके विधामप्र लेखों के भागे को पूरी तरह नहीं समझा जा सकता था। इसलिये इसका देना नितान्त जरूरी था। इस भूमिका को लिखने में मैंने निम्नलिखित सनोसे सहायता ली है। श्रीमती एनी बेरूप लिखित How india wrougit for free-tlcom, (हाउ इण्डिया गट फार फीडम) शानमण्डल कार्यान्यसे प्रकाशित सविनय अवज्ञा जाच समितिको रिपाट, श्रीयुत एस, रंगा ऐय्यर लिखिन टागार कम्पनीको प्रकाशित 'यंग इण्डिया'