पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/१३१

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सरकार एवं विरोधी दल के संवादपत्रों को भी आश्चर्य हुआ। राष्ट्रीय दल के सभी उम्मेदवारों ने, चाहे उन्होंने कांग्रेस में बहिकार के पक्ष में अपनी सम्मति दी हो या विपक्ष मे,इस समय उसके आदेश का श्रद्धापूर्वक पालन किया और यद्यपि कोई कोई सजन इसके पहले ही अधिक परिश्रम और व्यय कर चुके थे, तो भी उन्होंने निर्वाचन के लिये खड़े होने वालों की सूची से अपने नाम वापस ले लिये। अधिकांश निर्वाचकों ने भी सच्चे हृदयसं अपने नेताओ का अनुकरण किया। यद्यपि सरकारी कर्मचारियों तथा कुछ जमींदारों ने उनार अनुचित दबाव डालना चाहा पर वे चुनाव के स्थानों पर अपना मत देने न गये। मर वालेटाइन शिगेल ने एक स्थान के निर्वाचन का वर्णन करते हुए जो पत्र लन्दन के'टाइम्स' पत्र के पाम भेजा था, उसका कुछ अंश नीचे दिया जाता है---

"मैं गाडो में बैठकर इलाहाबाद से परतापगढ की ओर १५ मीलकर एक बड़े गांव के लिये जहां चुनाव होने वाला था, रवाना हुआ। जब हमलोग उस बड़े गांव मारांव' मे पहुचे, जिसे हम एक छोटा सा शहर कह सकते हैं, तो वहां अभी तक ऐसे कोई चिह्न न देख पड़े जिन से मालम होता कि आज वर्तमान भारत के इतिहास में वह महत्वपूर्ण दिन है जब कि यहां वालों का स्वराज्य प्रवेश-संस्कार होने वाला है। हमने यह अलबत्ता देखा कि वहां की छोटी सी कचहरी जिसमें निर्वाचन किया जाने वाला था झाड़पोंछ -कर साफ कर दी गयी थी।